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यह रही एक अनोखी और मज़ेदार कहानी, जिसमें तीन निराले किरदार हैं और जो आज के दौर से जुड़ी हुई है:
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कहानी का शीर्षक: 'गैजेटपुर का गोलमाल'
एक था चंटू, एक नन्हा चूहा, जो गैजेट्स का दीवाना था। उसे हर वक्त मोबाइल, #टैबलेट और लैपटॉप से चिपके रहना पसंद था। दूसरा था फुदकी, एक छोटी सी गौरैया, जिसे #प्रकृति से बेहद प्यार था। उसे पेड़ों पर चहचहाना, फूलों पर मंडराना और नदियों में तैरना अच्छा लगता था। तीसरा था ज्ञानू, एक बूढ़ा कछुआ, जो अपनी समझदारी और धीरज के लिए जाना जाता था। उसे #किताबें पढ़ना, #कहानियां सुनाना और लोगों को सही रास्ता दिखाना पसंद था।
एक दिन, चंटू अपने नए मोबाइल पर गेम खेल रहा था। फुदकी पास के पेड़ पर बैठी चहचहा रही थी और ज्ञानू नदी के किनारे बैठकर किताब पढ़ रहा था। तभी, चंटू का मोबाइल अचानक बंद हो गया। उसने उसे चालू करने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह नहीं खुला। चंटू घबरा गया। वह अपने मोबाइल के बिना नहीं रह सकता था।
फुदकी ने चंटू को देखा और उससे पूछा, "क्या हुआ, चंटू? तुम इतने परेशान क्यों हो?"
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चंटू ने फुदकी को बताया कि उसका मोबाइल बंद हो गया है। फुदकी ने कहा, "तुम हमेशा मोबाइल पर ही लगे रहते हो। तुम्हें थोड़ा बाहर भी निकलना चाहिए और #प्रकृति का आनंद लेना चाहिए।"
चंटू ने फुदकी की बात नहीं मानी। वह ज्ञानू के पास गया और उससे मदद मांगी। ज्ञानू ने चंटू से कहा, "तुम इतने परेशान क्यों हो? मोबाइल के बिना भी जीवन है।"
चंटू ने कहा, "लेकिन मैं अपने मोबाइल के बिना नहीं रह सकता। मुझे अपने दोस्तों से बात करनी है, गेम खेलने हैं और वीडियो देखने हैं।"
ज्ञानू ने चंटू को समझाया, "मोबाइल एक अच्छा साधन है, लेकिन यह सब कुछ नहीं है। तुम्हें अपने दोस्तों से मिलने के लिए बाहर जाना चाहिए, प्रकृति का आनंद लेना चाहिए और किताबें पढ़नी चाहिए।"
चंटू को ज्ञानू की बात समझ में आ गई। उसने अपना मोबाइल छोड़ दिया और फुदकी के साथ बाहर खेलने चला गया। उसने पेड़ों पर चढ़ना, फूलों पर मंडराना और नदियों में तैरना सीखा। उसे बहुत मज़ा आया।
कुछ दिनों बाद, चंटू का मोबाइल अपने आप चालू हो गया। चंटू खुश हो गया, लेकिन उसने अब #मोबाइल पर ज्यादा समय नहीं बिताया। वह अपने दोस्तों के साथ बाहर खेलता, प्रकृति का आनंद लेता और किताबें पढ़ता।
एक दिन, चंटू, फुदकी और ज्ञानू एक साथ बैठे थे। चंटू ने कहा, "मुझे अब समझ में आ गया है कि जीवन में मोबाइल से ज्यादा महत्वपूर्ण चीजें हैं। हमें अपने दोस्तों, परिवार और प्रकृति के साथ समय बिताना चाहिए।"
फुदकी ने कहा, "हाँ, चंटू, तुम सही कह रहे हो। हमें गैजेट्स का गुलाम नहीं बनना चाहिए। हमें उनका उपयोग केवल जरूरत पड़ने पर ही करना चाहिए।"
ज्ञानू ने कहा, "तुम दोनों ने सही कहा। हमें अपने जीवन में संतुलन बनाए रखना चाहिए। हमें गैजेट्स का उपयोग करना चाहिए, लेकिन हमें उनका गुलाम नहीं बनना चाहिए।"
चंटू, फुदकी और ज्ञानू ने एक साथ मिलकर एक नया नियम बनाया: "गैजेट्स का उपयोग केवल जरूरत पड़ने पर ही करें, बाकी समय अपने दोस्तों, परिवार और प्रकृति के साथ बिताएं।"
उन्होंने इस नियम को अपने सभी दोस्तों और परिवार वालों को बताया। सभी ने इस नियम को माना और अपने जीवन में संतुलन बनाए रखा।
कहानी का नैतिक:
* गैजेट्स का उपयोग केवल जरूरत पड़ने पर ही करें।
* अपने दोस्तों, परिवार और प्रकृति के साथ समय बिताएं।
* अपने जीवन में संतुलन बनाए रखें।
* हर चीज की अति बुरी होती है।
कहानी का विडिओ #ShortStoryhb :
यह कहानी बच्चों को यह सिखाती है कि गैजेट्स का उपयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए और उन्हें अपने जीवन में अन्य महत्वपूर्ण चीजों को भी महत्व देना चाहिए।