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यहाँ छत्रपति शिवाजी महाराज और औरंगजेब के बीच हुए युद्ध की एक रोमांचक और वीरता से भरपूर कहानी है:
"छत्रपति शिवाजी महाराज और क्रूर ओरंगजेब"
एक बार, औरंगजेब ने अपनी विशाल सेना के साथ शिवाजी महाराज के किले 'पुरंदर' पर आक्रमण किया। मुग़ल सेना में लाखों सैनिक थे, जबकि शिवाजी महाराज के पास मुट्ठी भर वीर मराठा योद्धा थे। लेकिन शिवाजी महाराज ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी छोटी सी सेना के साथ मुग़लों का डटकर मुकाबला किया।
पुरंदर के किले की दीवारें मुग़ल तोपों के गोलों से हिल रही थीं, लेकिन मराठा योद्धा चट्टान की तरह डटे रहे। शिवाजी महाराज स्वयं युद्ध के मैदान में अपनी तलवार लेकर उतरे। उनकी तलवार की एक-एक वार से मुग़ल सैनिकों के सिर धड़ से अलग हो रहे थे।
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शिवाजी महाराज की वीरता देखकर मराठा सैनिकों का हौसला और भी बढ़ गया। वे 'हर हर महादेव' के नारे लगाते हुए मुग़लों पर टूट पड़े। मुग़ल सैनिक मराठा योद्धाओं के पराक्रम के आगे टिक नहीं पाए। वे भागने लगे।
औरंगजेब यह देखकर क्रोधित हो उठा। उसने अपनी आरक्षित सेना को युद्ध में उतार दिया। लेकिन शिवाजी महाराज ने अपनी रणनीति से मुग़लों की हर चाल को नाकाम कर दिया। उन्होंने अपनी सेना को छोटे-छोटे समूहों में बाँट दिया और मुग़ल सेना पर चारों तरफ से हमला कर दिया।
मुग़ल सैनिक मराठा योद्धाओं के अचानक हमलों से घबरा गए। वे समझ नहीं पा रहे थे कि किस तरफ से हमला हो रहा है। उन्होंने भागना शुरू कर दिया। शिवाजी महाराज ने अपनी सेना के साथ मुग़लों का पीछा किया और उन्हें बुरी तरह से हराया।
पुरंदर के युद्ध में मुग़लों की करारी हार हुई। औरंगजेब को अपनी हार पर बहुत क्रोध आया, लेकिन वह कुछ नहीं कर सका। शिवाजी महाराज की वीरता और साहस के आगे उसकी एक न चली।
पुरंदर के युद्ध के बाद, शिवाजी महाराज ने मुग़लों के खिलाफ कई और युद्ध लड़े। उन्होंने हर युद्ध में मुग़लों को हराया और मराठा साम्राज्य का विस्तार किया। शिवाजी महाराज एक महान योद्धा ही नहीं, बल्कि एक कुशल प्रशासक भी थे। उन्होंने अपने राज्य में न्याय और समानता का शासन स्थापित किया।
शिवाजी महाराज की वीरता और साहस की गाथाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। उन्होंने हमें सिखाया कि अन्याय के खिलाफ हमेशा आवाज़ उठानी चाहिए और अपने देश की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
कहानी का नैतिक:
यह कहानी हमें सिखाती है कि साहस, दृढ़ संकल्प और एकता से बड़ी से बड़ी चुनौती को भी पार किया जा सकता है। शिवाजी महाराज ने अपनी वीरता और कुशल नेतृत्व से मुग़लों को पराजित किया और मराठा साम्राज्य की स्थापना की। उनकी कहानी हमें यह भी सिखाती है कि हमें हमेशा अपने देश और धर्म की रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए।
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