ममता का उपहार | Mamta Ka Upahar | Hindi Kahaniya | #3d #cartoon #story #moralstories #hindikahanian
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ममता का उपहार :
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ममता का उपहार | Mamta Ka Upahar | Hindi Kahaniya | #3d #cartoon #story #moralstories #hindikahanian |
एक छोटा सा गाँव था, जहाँ पूजा नाम की एक माँ अपने प्यारे बेटे हर्षिव के साथ रहती थी। पूजा एक मेहनती और ममतामयी माँ थी, जो अपने बेटे को बहुत प्यार करती थी। हर्षिव भी अपनी माँ से बहुत प्यार करता था, लेकिन वह थोड़ा जिद्दी और गुस्सैल था।
एक दिन, हर्षिव स्कूल से घर आया और अपनी माँ से कहा, "माँ, मुझे एक नया खिलौना चाहिए।"
पूजा ने कहा, "बेटा, हमारे पास अभी पैसे नहीं हैं। जब मेरे पास पैसे होंगे, तो मैं तुम्हें एक नया खिलौना दिला दूँगी।"
हर्षिव गुस्से से बोला, "मुझे अभी खिलौना चाहिए! तुम हमेशा यही कहती हो।"
पूजा ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन हर्षिव नहीं माना। वह गुस्से में अपने कमरे में चला गया और दरवाजा बंद कर लिया।
पूजा को बहुत दुख हुआ। वह अपने बेटे को बहुत प्यार करती थी, लेकिन वह उसकी जिद को पूरा नहीं कर सकती थी।
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अगले दिन, हर्षिव स्कूल गया, लेकिन उसका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था। वह अपनी माँ के बारे में सोच रहा था। उसे अपनी गलती का अहसास हुआ।
स्कूल से घर आने के बाद, हर्षिव ने अपनी माँ से माफी मांगी। उसने कहा, "माँ, मुझे माफ कर दो। मैं बहुत बुरा बच्चा हूँ।"
पूजा ने अपने बेटे को गले लगाया और कहा, "नहीं, बेटा, तुम बहुत अच्छे बच्चे हो। मुझे खुशी है कि तुम्हें अपनी गलती का अहसास हुआ।"
उस दिन के बाद, हर्षिव ने कभी भी अपनी माँ से जिद नहीं की। वह एक अच्छा बेटा बन गया।
एक दिन, हर्षिव और पूजा बाजार जा रहे थे। रास्ते में, उन्होंने एक बूढ़ी महिला को देखा जो सड़क के किनारे बैठी थी। वह बहुत गरीब लग रही थी।
हर्षिव ने अपनी माँ से कहा, "माँ, क्या हम इस बूढ़ी महिला की मदद कर सकते हैं?"
पूजा ने कहा, "हाँ, बेटा, जरूर।"
उन्होंने बूढ़ी महिला को कुछ पैसे दिए और उसे खाना खिलाया। बूढ़ी महिला बहुत खुश हुई और उन्होंने हर्षिव और पूजा को आशीर्वाद दिया।
घर वापस आते समय, हर्षिव ने अपनी माँ से कहा, "माँ, मुझे बहुत अच्छा लगा जब हमने उस बूढ़ी महिला की मदद की।"
पूजा ने कहा, "मुझे भी बहुत अच्छा लगा, बेटा। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो हमें खुशी मिलती है।"
हर्षिव ने अपनी माँ की बात समझ ली। उसने फैसला किया कि वह हमेशा दूसरों की मदद करेगा।
कुछ साल बीत गए, और हर्षिव एक अच्छा और दयालु लड़का बन गया। वह हमेशा अपनी माँ का सम्मान करता था और दूसरों की मदद करता था।
एक दिन, हर्षिव को एक अच्छी नौकरी मिली। वह बहुत खुश था और उसने सबसे पहले अपनी माँ को बताया।
पूजा भी बहुत खुश हुई। उसने अपने बेटे को गले लगाया और कहा, "मुझे तुम पर गर्व है, बेटा।"
हर्षिव ने अपनी माँ के लिए एक सुंदर घर खरीदा और उसे वहाँ ले गया। पूजा बहुत खुश थी। उसने कहा, "मुझे दुनिया का सबसे अच्छा बेटा मिला है।"
हर्षिव ने कहा, "और मुझे दुनिया की सबसे अच्छी माँ मिली है।"
उन्होंने एक-दूसरे को गले लगाया और खुशी से रोने लगे।
कहानी का मर्म:
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें हमेशा अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिए और दूसरों की मदद करनी चाहिए। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो हमें खुशी मिलती है।
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