चालाक बन्दर आलसी कछुआ | आलसी कछुआ | Hindi Kahaniya | Tortoise 3D Hindi #stories for #kids #yt #story
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चालाक बन्दर आलसी कछुआ | आलसी कछुआ | Hindi Kahaniya | Tortoise 3D Hindi #stories for #kids #yt #story |
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एक बार की बात है, एक हरे-भरे जंगल में तीन दोस्त रहते थे—बुद्धिमान बंदर मोनू, आलसी कछुआ टिल्लू और चालबाज़ लोमड़ी शीला। तीनों दिनभर मस्ती करते, लेकिन टिल्लू को कोई भी काम करने से बहुत आलस आता था। मोनू हमेशा कहता, "टिल्लू, कुछ तो मेहनत करो!" लेकिन टिल्लू बस हंसकर कहता, "आराम ही असली सुख है!"

एक दिन शीला को एक मज़ेदार शरारत सूझी। उसने कहा, "चलो, आज देखते हैं कि टिल्लू आलस छोड़कर दौड़ सकता है या नहीं!"

टिल्लू की आँखें चमक उठीं। वह बोला, "वाह! अगर रेस जीतने से आराम मिलेगा, तो मैं ज़रूर दौड़ूंगा!"
शीला ने एक रस्सी निकाली और मोनू के इशारे पर उसे टिल्लू की पीठ से बाँध दिया। दूसरी तरफ रस्सी को मोनू ने पकड़ लिया। जैसे ही टिल्लू धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था, मोनू ने रस्सी खींचनी शुरू कर दी।

अब क्या हुआ? टिल्लू रॉकेट की तरह दौड़ने लगा! वह कुछ समझ नहीं पा रहा था और चिल्ला उठा, "अरे! ये क्या हो रहा है?"
टिल्लू ने हांफते हुए रेस पूरी की और जीत गया! मगर उसने महसूस किया कि मेहनत करने से ही असली मज़ा आता है। उसने खुशी-खुशी कहा, "अब मैं भी आलसी नहीं रहूंगा! मेहनत में ही असली मज़ा है!"
मोनू और शीला ने एक-दूसरे को देखा और हंसते हुए बोले, "चलो, हमारी शरारत काम कर गई!"
"हर चीज़ का एक सही समय होता है, लेकिन मेहनत से ही असली जीत मिलती है!"