Urdu shayari - Urdu Poetry |
Urdu shayari - Urdu Poetry
Urdu poetry اُردُو شاعرى Urdū S̱ẖāʿirī)
is a rich custom of poetry and has a wide range of structures. Today, it is a
significant piece of the way of life of india. As per Naseer Turabi there are
five significant writers of Urdu which
are Mir Taqi Mir,Mirza Ghalib, Mir Anees, Allma Iqbal and Josh Malihabadi. The
language of Urdu arrived at its apex
under the British Raj, and it got official status. Every single well known
author of Urdu language including Ghalib
and Iqbal were given British grants. Following the Partition of India in 1947,
it discovered significant writers and researchers were separated along the
nationalistic lines. Nonetheless, Urdu poetry is
valued in both the countries. Both the Muslims and Hindus from over the
outskirt proceed with the custom.
It is essentially performative poetry and its
presentation, now and again extemporaneous, is held in Mushairas (wonderful
pieces). Despite the fact that its tarannum saaz (singing viewpoint) has
experienced significant changes in ongoing decades, its prominence among the
majority remains unaltered.Mushairas are today held in metropolitan regions
overall in light of the social impact of South Asian diaspora. Ghazal singing
and Qawwali are additionally significant interpretive types of Urdu poetry.
Urdu shayari - Urdu Poetry |
Poetry, written in any language, has a kind of mending
vitality. To have the option to inventively express unquantifiable and complex
human feelings is an uncommon ability and some Urdu
shayars have done finish equity to it.
Expounded on adoration, life and grievousness, here
are a couple of jewels of Urdu shayari to mix a portion of your most profound
sentiments.
Urdu shayari
Unki Mohabbat ke abhi nishaan baki
Unki Mohabbat ke abhi nishaan baki hai,Naam lab par
hai aur jaan baki hai .Kya hua agar dekh kar muh pher lete hai,Tasalli hai ki
shakal ki pehchaan baki hai …
Dosti Hoti Nahi Bhul Jane Ke
Dosti Hoti Nahi Bhul Jane Ke Liye,Dost Milte Nahi
Bikhar Jane Ke Liye,Dosti Karke Khush Rahoge Itna,Ki Waqt Milega Nai Aansu
Bahane Ke Liye. .
Jal Uthi Hai Shama Roshni Se
Jal Uthi Hai Shama Roshni Se UskiKhatm Hui Hai Tanhaai
Mehfil Me UskiMain To Bas Itna Kahunga Ke Meri Jaan Me Basti Hai Jaan Uski
Jise Peene Ka Salika Na ThaUsse
Jise Peene Ka Salika Na ThaUsse Jaam Diya Gaya HaiJise
Wafaa Se Fursat Na Mili‘Masroor’ Usse Zeher Diya Gaya Hai
Urdu shayari - Urdu Poetry |
Urdu shayari
AAJ MUJAY KHUSHI KI WO RIDA
AAJ MUJAY KHUSHI KI WO RIDA NAZAR AYI..JIS MAINN MUJAY
MUHABBAT KI WAFA NAZAR AYI..KEHTAY HAIN SABAR ANDEHRO MAIN ROSHNI KARTA HAI…AAJ
MUJAY US ROSHNI KI RIDA NAZAR AYI….FOR MY LOVE…..
Urdu shayari - Urdu Poetry |
Urdu shayari
Kitna Pyaar Diya Usse Par Mila
Kitna Pyaar Diya Usse Par Mila Kuch Bhi Nahi,Itni
Gehri Chahat Ka Hasil-O-Hasool Kuch Bhi Nahi,Woh Humse Khafa The To Jaan Nikal
Gayi Thi Hamari,Hum Unse Khafa Hai To Unko Malaal Kuch Bhi Nahi,Is Kadar Dukh
Diye Hai Na Jaane Kis Khata Par,Par Hum Bhi Sabar Kar Gaye Aur Kiya Sawal Kuch
Bhi Nahi,Uski Khushi Mein Hansne Wale Khaas Hai Uske Liye,Dukh Mein Uske Saath
Hum, Hamari Misaal Kuch Bhi Nahi..!!!
एहसासों को लफ़्ज़ों मे ंपिरोकर उन्हें 2 लाइन की बहर में कह देने का हुनर ही शायरी कहलाता है। उर्दू और हिंदी भाषा में ख़ूब शेर कहे गए हैं। पेश हैं कुछ बेहतरीन चुनिंदा शेर
अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ
मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे
- बशीर बद्र
दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
- जिगर मुरादाबादी
अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ
मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे
- बशीर बद्र
दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
- जिगर मुरादाबादी
आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है
भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है
- वसीम बरेलवी
बक रहा हूँ जुनूँ में क्या क्या कुछ
कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई
- मिर्ज़ा ग़ालिब
भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है
- वसीम बरेलवी
बक रहा हूँ जुनूँ में क्या क्या कुछ
कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई
- मिर्ज़ा ग़ालिब
हम भी क्या ज़िंदगी गुज़ार गए
दिल की बाज़ी लगा के हार गए
- दाग़ देहलवी
इस रास्ते के नाम लिखो एक शाम और
या इस में रौशनी का करो इंतिज़ाम और
- दुष्यंत कुमार
दिल की बाज़ी लगा के हार गए
- दाग़ देहलवी
इस रास्ते के नाम लिखो एक शाम और
या इस में रौशनी का करो इंतिज़ाम और
- दुष्यंत कुमार
मेरे रोने की हक़ीक़त जिसमें थी
एक मुद्दत तक वो काग़ज़ नम रहा
- मीर
वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे
मैं तुझे भूल के ज़िंदा रहूं ख़ुदा न करे
- क़तील शिफ़ाई
एक मुद्दत तक वो काग़ज़ नम रहा
- मीर
वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे
मैं तुझे भूल के ज़िंदा रहूं ख़ुदा न करे
- क़तील शिफ़ाई
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते
- गुलज़ार
कुछ फैसला तो हो कि किधर जाना चाहिए
पानी को अब तो सर से गुज़र जाना चाहिए
- परवीन शाकिर
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते
- गुलज़ार
कुछ फैसला तो हो कि किधर जाना चाहिए
पानी को अब तो सर से गुज़र जाना चाहिए
- परवीन शाकिर
आज देखा है तुझ को देर के बाद
आज का दिन गुज़र न जाए कहीं
- नासिर काज़मी
आँखें जो उठाए तो मोहब्बत का गुमाँ हो
नज़रों को झुकाए तो शिकायत सी लगे है
- जाँ निसार अख़्तर
आज का दिन गुज़र न जाए कहीं
- नासिर काज़मी
आँखें जो उठाए तो मोहब्बत का गुमाँ हो
नज़रों को झुकाए तो शिकायत सी लगे है
- जाँ निसार अख़्तर
आप की याद आती रही रात भर
चश्म-ए-नम मुस्कुराती रही रात भर
- मख़दूम मुहिउद्दीन
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
चश्म-ए-नम मुस्कुराती रही रात भर
- मख़दूम मुहिउद्दीन
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
दर्द ऐसा है कि जी चाहे है ज़िंदा रहिए
ज़िंदगी ऐसी कि मर जाने को जी चाहे है
- कलीम आजिज़
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से
- साहिर लुधियानवी
ज़िंदगी ऐसी कि मर जाने को जी चाहे है
- कलीम आजिज़
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से
- साहिर लुधियानवी
चाहिए ख़ुद पे यक़ीन-ए-कामिल
हौसला किस का बढ़ाता है कोई
- शकील बदायुनी
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
- निदा फ़ाज़ली
हौसला किस का बढ़ाता है कोई
- शकील बदायुनी
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
- निदा फ़ाज़ली
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो
- मुनव्वर राना
और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो
- मुनव्वर राना
और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं